Saturday, May 23, 2009

मुहब्बत भी बहुत है..............


शिकवे भी हजारों हैं,

शिकायत भी बहुत हिया।

इस दिल को मगर,

उससे मुहब्बत भी बहुत है।

आ जाता है मिलने वो,

तस्सव्व्वुर में हमारे,

एक शख्स,

इतनी सी इनायत भी बहुत है।

ये भी तमन्ना है की,

उसे दिल से भुला दे,

इस दिल को मगर,

उसकी जरुरत भिबहुत है।

देखें थो ज़रा पी के हम भी,

ज़हर-ऐ-मुहब्बत,

सुनते है की,

इस ज़हर में लज्जत भी बहुत है...............
ज़ख़्मी

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