Saturday, July 4, 2009

समंदर की हवाओं पर तुम्हारा नाम लिख दूंगी.

समंदर की हवाओं पर तुम्हारा (?) नाम लिख
दूंगी।
मैं, साहिल पर,
मैं, लहरों पर,
तुम्हारा (?) नाम लिख दूंगी।
महक उठेगा आँगन फ़िर मेरा,
आँगन के फूलों से
मैं जब आँगन के फूलों पर तुम्हारा (?) नाम लिख
दूंगी।

ऐसा होगा ना मेरे हाथ में जब पार करने को,
मैं दरिया किनारे पर तुम्हारा (?) नाम लिख
दूंगी।
खाला मैं जाउंगी इक शब् और अपने हाथो से
फलक के सब सितारों पर तुम्हारा (?) नाम लिख
दूंगी।

खुशी से रो पड़ेगी देख लेना
बेलों की कलियाँ
मैं, जब बेलों की कलियों पर तुम्हारा (?) नाम लिख
दूंगी।
तुम्हारा (?) नाम हाथों में जो कुदरत ने नही लिखा,
तो,
मैं, ख़ुद अपने हाथो पर तुम्हारा (?) नाम लिख
दूंगी।

धनक उभरेगी जब हंजा इक गहरे बादल पर
धनक के सारे रंगों पर तुम्हारा (?) नाम लिख
दूंगी।
"जख्मी"
(?)

11 comments:

  1. आपकी कविता को समझने में मुझे समय लगेगा लेकिन आपकी प्रोफाईल पढ़कर बहुत अच्छा लगा ! इतने सशक्त तरीके से आपने अपना परिचय दिया है कि बात दिल को छू गयी !

    शुभकामनाएं


    कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
    इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

    तरीका :-
    डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स

    आज की आवाज

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  2. Beautiful Poem. Congratulations.
    Jai Baba to You,
    Chandar Meher
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    www.trustmeher.org

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  3. Atyant sundar! Swagat hai!

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  4. अब यदि इतनी जगह नाम उकेरना हो।
    तो जख्मी ही ना होएंगे।

    ये तुम्हारा के आगे (?)। सबसे ज्यादा पसंद आया। पता नहीं क्यूं।

    और अच्छे लेखन की गुजारिश के साथ।

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  5. अच्छा है अंदाज़े-बयाँ।
    सुस्वागतम्।

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  6. aapki kavita achhi lagi...
    and thanks meri kavita "swarthi" ke comments ke liye... u can visit my blogs if you want to read more poems...
    intejaar rahega...

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  7. Bahut sundar rachana..really its awesome...

    Regards..
    DevSangeet

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  8. हिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |

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  9. Aaj janha tumne naam likhe , kal vanha tasweer bhi ubhar aayegi aur ye ? hat jaayega

    Manoj joshi

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