सारे सपने कही खो गए,
हाय हम क्या से क्या हो गए।?
दिल से तन्हाई का दर्द जीता,
क्या कहें हम पे क्या-क्या ना बिता।
तुम ना आए, मगर जो गए,
हाय हम क्या से क्या हो गए।?
तुमने हमसे कहीं थी जो बातें,
उनको दोहरातीं हैं गम की रातें।
तुमसे मिलने के दिन खो गए,
हाय हम क्या से क्या हो गए?
कोई शिकवा ना कोई गिला है,
तुमसे कब हमको ये गम मिला है।
हाँ नसीब अपने ही सो गए,
हाय हम क्या से क्या हो गए?
सारे सपने कहीं खो गए,
हाय हम क्या से क्या हो गए?
ज़ख़्मी
ज़ख़्मी
great pic, and sahin bol
ReplyDelete